ISIS आतंकी बोला — पाकिस्तान बना रहा है जिहाद की फैक्ट्री

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

अफगानिस्तान की सेना ने गुरुवार को एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए ISIS आतंकी सईदुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने जो बताया, उसने पाकिस्तान की “आतंकी वर्कशॉप” को एक बार फिर बेनकाब कर दिया।
सईदुल्लाह ने खुलासा किया कि वह पाकिस्तान के क्वेटा कैंप में मानसिक और शारीरिक ट्रेनिंग लेकर अफगानिस्तान में घुसा था। फर्जी पहचान पत्र के ज़रिए उसने “मोहम्मद” नाम से तोरखम बॉर्डर पार किया।

“मैंने आत्मघाती मिशन के लिए ट्रेनिंग ली थी… पाकिस्तान ने हमें तैयार किया,” — सईदुल्लाह का कबूलनामा।

‘शांति वार्ता’ के बीच जारी है आतंकी घुसपैठ

तुर्की और कतर की मध्यस्थता में हाल ही में अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच हुई युद्धविराम वार्ता के बीच यह गिरफ्तारी कई सवाल खड़े करती है।
जहां एक ओर दोनों देशों ने युद्धविराम बढ़ाने पर सहमति जताई, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंकी अफगानिस्तान में घुसपैठ कर रहे हैं।

“छह नवंबर की बैठक में जब दोनों देश अगली रूपरेखा तय करेंगे, तब तक शायद कुछ और ‘पढ़े-लिखे आतंकी’ सीमा पार कर चुके होंगे,”।

क्वेटा के कैंप से निकली ‘जिहाद फैक्ट्री’

पकड़े गए आतंकी सईदुल्लाह के बयान ने साफ किया है कि पाकिस्तान अब आतंकवादियों का टैलेंट हब बन चुका है। क्वेटा, कराची और इस्लामाबाद के आसपास फैले ISIS ट्रेनिंग कैंप में अब “मानसिक और फिजिकल ट्रेनिंग” दी जाती है। लक्ष्य — अफगानिस्तान में अराजकता फैलाना और वैश्विक राजनीति में “पवित्र योद्धा” की छवि बनाना।

सैन्य विश्लेषक यूसुफ अमीन जज़ई ने तंज कसते हुए कहा —“पाकिस्तान के पास अब दो बड़े एक्सपोर्ट हैं — आतंक और तर्क।”

‘शांति’ शब्द पाकिस्तान की डिक्शनरी में नहीं

सईदुल्लाह के कबूलनामे ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान के लिए “शांति” सिर्फ एक रणनीतिक शब्द है। जहां एक तरफ वो अफगानिस्तान के साथ वार्ता की बात करता है, वहीं दूसरी ओर जिहादियों की नई खेप तैयार करता है। अब सवाल यह है कि क्या दुनिया फिर इस आतंक-निर्माण तंत्र पर आंख मूंदे रहेगी?

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